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कवि
मुकुट बिहारी
सरोज ने कभी
कहा था-
अस्थिर सब के सब पैमाने तेरी जय जय कार जमाने बन्द किवार किये बैठे हैं अब कोई आये समझाने फूलों को घायल कर डाला कांटों की हर बात सह गये कैसे कैसे लोग रह गये भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनभावनाओं के प्रतीक बन गयेअन्ना हजारे की अस्थिर मानसिकता पर सरोजजी की यह कविता याद आनी स्वाभाविक है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि भ्रष्टाचार देश में एक बड़ी समस्या है
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वीरेन्द्र
जैन |
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कहीं
पे निगाहें,
कहीं पे
निशाना पिछले दिनों आईबीएन चैनल पर 'डेविल्स एडवोकेट' शीर्षक अपने कार्यक्रम जनाब करण थापर ने राज्यसभा में भाजपा के नेता अरूण जेटली से एक सवाल पूछा जिसे सुन कर जेटली कुछ समय के लिए थोड़े सन्न से भी रह गए।( http://ibnlive.in.comènewsègovt-owes-an-explanation-on-chidambaram-jaitleyè213048-3.html (Transcript) थापर ने पूछा कि कई लोगों का यह मानना है कि गृहमंत्री पी चिदम्बरम का बहिष्कार करने या उसके लिए संसद की कार्रवाई बाधित करने जैसे कदम के पीछे असली मसला यह नहीं है कि वह 2जी घोटाले में कथित तौर पर शामिल रहे हैं
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सुभाष
गाताड़े |
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टी.के.अरुण |
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लोकतांत्रिक
व्यवस्थाओं
के अंतर्गत
काम करने
वाले संगठनों
की एक
विशेषता यह
भी होती है कि
वे अपने
इतिहास के
बलबूते अपने
जनाधार और
सांगठनिक
ढांचे को
मजबूत करने
की कोशिश
करते हैं। इस
दृष्टि से
लोकतंत्र में
संगठनों का
इतिहास उनकी
स्वीकार्यता
और
प्रासंगिकता
को तय करने
वाला एक बडा
कारक होता
है। इसीलिये
हम देखते हैं
कि कांग्रेस
स्वतंत्रता
संग्राम के
अपने
गौरवशाली
इतिहास से,
कम्यूनिष्ट
संगठन भगत
सिंह और उस
आंदोलन के
क्रांतिकारी
विरासत और
समाजवादी
संगठन जेपी
आंदोलन के
इतिहास से
लोगों को
अपनी तरफ
आकर्षित करने
की कोशिश
करते हैं। ?
शाहनवाज
आलम |
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साम्प्रदायिक
राजनीति की
विद्रूपता निर्दोष
राजा डंकन की
हत्या में
सहभागी बनने
के बाद लेडी
मैकबेथ बार-बार
अपने हाथ
धोती है।
लेकिन उसके
हाथ से खून
नहीं मिटता
और उसका
अपराध लगातार
उसका पीछा
करता है।
विश्वप्रसिध्द
नाटक मैकबेथ
के इस दृश्य
को शेक्सपीयर
ने एक
भावपूर्ण और
सशक्त उक्ति
जिसका हिंदी
में अर्थ है 'अरब
के सारे
इत्रों से
हाथ धोने के
बावजूद खून
की गंध नहीं
मिटेगी' से
किया है। आज
शेक्सपीयर का
यह
विश्वप्रसिध्द
वाक्य गुजरात
के
मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी
पर बिल्कुल
सटीक बैठता
है। ?
राजीव
कुमार यादव |
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मप्र
में गहराती
भ्रष्टाचार
की जड़ें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दावा करते हैं कि प्रदेश में कहीं भी भ्रष्टाचार नहीं हैं और लोकायुक्त संगठन उनके दावें की हवा निकाल रहा है। हाल ही में लोकायुक्त की टीम ने इंदौर के आरटीओ कार्यालय में पदस्थ एक बाबू रमन धूलधोए के यहां छापा मारा तो टीम भौंचक्की रह गई। छापे में पता चला कि इस बाबू का बीस करोड़ का फार्म हाऊस है,जिसमें साठ लाख का बंगला बनाया गया है। इसके अलावा पांच करोड़ की जमीन और दो करोड़ का बंगला भी पाया गया। एक किलो सोना, चार किलो चांदी, सात वाहन और बैंकों में 84 हजार रुपए जमा। कुछ बैंक लॉकर तो अभी खोले ही नहीं गए हैं। अनुमान है कि उसकी कुल संपत्ति एक अरब के पार जा सकती है।
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महेश
बाग़ी |
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कुडनकुलम
प्रोजेक्ट पर
मनमोहन सिंह
अडिग
मास्को:
प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह
की तीन दिनों
की रूस
यात्रा तीन
कारणों से
महत्वपूर्ण
रही है। सबसे
पहले तो उनकी
यह यात्रा
रूस के
संसदीय चुनाव
के तुरंत बाद
और
राष्ट्रपति
चुनाव के ठीक
पहले हुई।
यात्रा उस
समय हुई,
जिसके ठीक दो
महीने बाद
दोनों देश
अपने राजनयिक
संबंधों की
स्थापना की 65वीं
सालगिरह
मनाएंगे। ?
हरिहर
स्वरूप |
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ईराक
को अराजकता
के गर्त में
छोड़कर
ईराक
से अमरीकी
फौजों की
वापसी,
उत्तरी
कोरिया के
तानाशाह शासक
की मृत्यु और
चीन की सरकार
के विरूध्द
आम लोगों का
विद्रोह
पिछले दिनों
में घटी तीन
महत्वपूर्ण
घटनाएं हैं। नौ वर्ष पूर्व अमरीका ने ईराक पर हमला किया था। अमरीका का दावा था कि ईराक में महासंहारक हथियारों का जखीरा है। अमरीका का दावा था कि ईराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन इन हथियारों से हजारों लोगों को एक साथ मार सकते हैं। ईराक के पास वे हथियार हैं या नहीं इसकी जांच बार-बार की गई।
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एल.एस.हरदेनिया |
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क्रिकेट
में फिक्सिंग
की रोकथाम के
लिए इंटरपोल
से पहल आई.सी.सी.की
दुबई बैठक
में होगी
चर्चा क्रिकेट
में मैच
फिक्सिंग की
समस्या किसी
एक देश की
नहीं है
बल्कि उन सभी
देशों की हैं
जिनमें
श्रृंखलाबध्द
तरीके से
अंतर्राष्ट्रीय
मैचों का
आयोजन होता
ही रहता है।
मैच फिक्सिंग
एक ऐसा अपराध
है जो छुपा
हुआ होता है।
परस्पर जीत-हार
के परिणामों
के आधार पर यह
अपराध चर्चा
में आता है।
वैसे कहा
जाता है कि
क्रिकेट एक
ऐसा खेल है
जिसमें जीत
और हार कब किस
टीम की हो जाय
अनुमान नहीं
लगाया जा
सकता है। ? राजेन्द्र जोशी |
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केंद्रीय मंत्री मण्डल ने गरीबों को सस्ते अनाज का कानूनी अधिाकार दिलाने के मकसद से खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी देकर एक अच्छा काम कर दिया है। यूपीए की प्रमुख सोनिया गांधी की इस मंशापूर्ति के चलते अब देश की 63.5फीसदी आबादी को कानूनीतौर पर तय सस्ती दर से खाद्य सुरक्षा का अधिकार मिल जाएगा। अब कांग्रेस के लिए जरूरी है कि वह इस महत्वाकांक्षी विधोयक को इसी लोकसभा सत्र में पारित कराकर अमल में लाए क्योंकि मनमोहन सिंह सरकार की पृष्ठभूमि में पिछला चुनाव जीतने के मुख्य कारणों में मनरेगा और किसानों की 60 हजार करोड़ की कर्जमाफी है।
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प्रमोद
भार्गव |
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ग्रामपंचायत
चुनाव :
बेटियों को 'सौंपी'
ग्रामपंचायत! महिलाओं
को अशक्त
करने का एक
अलग पैंतरा आगामी
29 दिसम्बर का
गुजरात में
ग्रामपंचायत
चुनाव होने
हैं। कुछ
गांवों ने
अपने पंचायत
सदस्य तथा
सरपंच पहले
से ही तय कर
लिये हैं। 29 को
तो सिर्फ यह
घोषणा
वैधानिक जामा
पहन लेगी।
चांदकणी गांव
के बुजुर्ग
रतिभाई ने
पत्रकारों को
बताया कि
गांव की
सरपंच
गौरीबहन
प्रजापति को
बनाया
जायेगा। 1073 की
आबादी वाले
इस गांव में
सिर्फ 318 लोग
रहते हैं
जिनकी उम्र 50
से उपर हैं।
यानि किसी
गांव के लिए
यह एक
सोचनेवाला
मुद्दा है कि
भरण-पोषण की
समस्या इतनी
गहरी है कि एक
युवा युवति
को वहां
टिकना सम्भव
नहीं है और
बचे हुए
बुजुर्ग वही
रहने को
बाध्य हैं।
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अंजलि
सिन्हा |
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भोपाल
के एक
अस्पताल में
भर्ती अपने
परिजन के
इलाज के लिए
रूपये
निकालने के
लिए तिवारी
जी जब अपने
एटीएम कार्ड
का उपयोग
करते हैं तो
एटीएम मशीन
सिर्फ पर्ची
बाहर निकालती
है रूपए
नहीं। लेकिन
पर्ची पर
अंकित हिसाब
में निकाले
गए रूपये
जरूर कम हो
जाते है। अब
तिवारी जी
परेशान होकर
भागते हुए
बैंक की शाखा
में जाते हैं
बैंक के
अधिकारी
आश्वासन देते
हैं कि कम से
कम एक सप्ताह
में आपका
हिसाब ठीक हो
जाएगा उसके
बाद आप अपनी
राशि निकाल
सकते है। यह
सुनकर तिवारी
सन्न रह जाते
हैं कि
अस्पताल का
बिल तो अभी
चुकाना है और
रूपए होते
हुए भी उनके
पास नहीं हैं
भारी परेशानी
के बाद कहीं
से उधार लेकर
इलाज की
व्यवस्था तो
हो जाती हैं।
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डॉ.
सुनील शर्मा |
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देश
में नवीन
आशाओं और
सम्भावनाओं
का सूरज उगाए :
वर्ष 2012 इक्कीसवीं
सदी के दूसरे
दशक का
आरम्भिक वर्ष
यानी 2011 सचमुच
बहुत
धमाकेदार
रहा। पूरा
वर्ष विवादों,
आशंकाओं और
आरोप-प्रत्यारोपों
में बीता।
राजनीतिक,
सामाजिक,
आर्थिक या
किसी भी
परिदृश्य में
भारत की बहुत
उज्ज्वल छवि
उभरकर सामने
नहीं आई।
आज़ादी के बाद
सिर्फ़ रोटी,
कपड़ा और मकान
ही आम जन की
समस्या थी जो
अद्यपर्यन्त
हल नहीं हुई।
कालान्तर में
निर्धनता,
भूख, बेकारी,
महंगाई,
अपराध,
कुपोषण,
भ्रष्टाचार,
आतंकवाद,
शिक्षा का
अवमूल्यन,नैतिक
मूल्यों का -हास
आदि समस्याएं
भी जन-जीवन से
जुड़ गई।
?
डॉ.
गीता गुप्त |
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