संस्करण: |
|
|
|
|
|
धारा
370 :
श्यामाप्रसाद
मुखर्जी की
सहमति और
भाजपा की
उलटबांसी अगले सप्ताह आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी प्रेस जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशन से आ रही नयी किताब भाजपा के लिए अभी से ही चिन्ता की नयी लकीरों का सबब बनने जा रही है। ए जी नूरानी जैसे संविधान के जानकार एवं प्रख्यात कानूनविद द्वारा विभिन्न दस्तावेजों के सहारे लिखी गयी प्रस्तुत किताब 'आर्टिकल 370:ए कान्स्टिटयूशनल हिस्टरी आफ जम्मू एण्ड कश्मीर'बताती है कि जम्मू एवं कश्मीर को धारा 370के तहत विशेष दर्जा देने को लेकर भाजपा के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी की पूरी सहमति थी।
?
सुभाष
गाताड़े |
|
|
|
|
हिंदुस्तान की धर्मपरायण जनता को संत का चोला पहनकर भरमाना बहुत आसान है, इसका लाभ देश में कई ढोंगी बाबा उठा रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं संत आशाराम बापू। आसाराम को अचानक जाने क्या हुआ उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। दो कोड़ी के अभिनय में माहिर आशाराम को भाजपा की तरह हर चीज के पीछे सोनिया गांधी नजर आतीं हैं। पिछले दिनों उन्होंने सलाह दे डाली की सोनिया गांधी को देश छोड़ देना चाहिए।
?
विवेकानंद |
|
|
रामकिशन यादव ने बाबा रामदेव बनते ही अपने बाल बढाये, भगवा कपड़े पहने और माथे पर तिलक लगाने लगे। इस वेषभूषा को एक सन्यासी की वेषभूषा माना जाता है,तथा हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले इसी वेषभूषा के कारण उस व्यक्ति को सत्य अहिंसा और सर्वे भवंतु सुखिना की कामना करने वाला मानते हैं।
?
वीरेन्द्र
जैन |
|
|
|
|
राजनीति
में दिग्विजय
सिंह फेक्टर
दिग्विजय सिंह इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं के केन्द्र में हैं। उनके बयानों की समीक्षा प्राय: मसखरे अंदाज में की जाती है और उनकी टिप्पणियों के तीखेपन को भोथरा बना दिया जाता है। मैं तो यह तक कहने से परहेज नहीं करूंगा कि दिग्विजय सिंह का मूल्यांकन करने के लिये विश्लेषकों को अपने जंग खा चुके औजारों से निजात पाना होगी और शायद कुछ नयी कसौटियों का अविष्कार भी करना पड़े। ? रामेश्वर नीखरा
(लेखक
पूर्व सांसद
हैं |
|
|
जनमानस
में पवित्र
नदियों पर है
मूलत: भारतीय
जनमानस भावना
प्रधान और
आस्थावान तो
है ही, साथ ही
सांस्कृतिक,
धार्मिक और
सामाजिक
परंपराओं का
संवाहक भी
है। सदियों
की हमारी
सांस्कृतिक
धरोहरों से
भारत वर्ष भरा
पड़ा है। ?
राजेन्द्र
जोशी |
|
|
|
|
मध्यप्रदेश
में अघोषित
आपातकाल लागू
कर दिया गया
है। शिवराज
सरकार ने
मीडिया और
अपने
विरोधियों
को ठिकाने
लगाने के लिए
यह सब किया
है। अपनी
कुर्सी
सलामत रखने
और तीसरी बार
सत्ता हासिल
करने के लिए
सरकार ने जो
क़दम उठाया है,
वह
लोकतांत्रिक
पध्दति का
खुला
दुरुपयोग
है। इस
आपातकालीन
क़दम के ज़रिये
एक ओर जहां
विरोधियों
पर नकेल कसने
की तैयारी है,वहीं
दूसरी ओर
मीडिया जगत
को ब्लैकमेल
किया जा रहा
है।
?
महेश
बाग़ी |
|
|
भारतीय जनता पार्टी हर हाल में कश्मीर को भारत का भाग बनाए रखना चाहती है परंतु कश्मीरियों के एक बड़े हिस्से को संदेह की निगाह से देखती है। यह विडंबना अभी हाल में मध्यप्रदेश में उछले एक विवाद के संदर्भ में सामने आई। जब आप किसी पर संदेह करेंगे तो वह आपका कैसे हो सकता है ?
एल.एस.हरदेनिया |
|
|
|
|
यह जानने में
किसको
दिलचस्पी है,
कि शरीर को
लकवा मारता
है तब पीड़ा का
एहसास चुकना
कितना
पीड़ादायक
होता है ? किसी
शहर को
कर्फ्यू में
झोंकना उस
शहर पर
पक्षाघात के
प्रहार से कम
नहीं है। शहर
के किसी छोटे
हिस्से में
कर्फ्यू लगना
उस हिस्से का
बाकी इलाको
से कुछ घंटों
या दिनों के
लिए कट जाना
है। सुन्न हो
जाना है।
तकलीफ बढ़ जाती
है, जब वह ऐसा
इलाका हो जहां
आधी रात के
बाद भी कोई
भूखा पेट भर
सकता है।
?
प्रकाश
दुबे |
|
|
फर्जी फायनेंस कम्पनियों की लूट में बैंकों का रवैया सहायक? फर्जी फायनेंस कम्पनियों द्वारा म.प्र. में किया गया ठगी का कारनामा चर्चा में हैं। अभी तक लूट का ऑकड़ा लगभग पॉच सौ करोड़ से भी उपर निकल गया है। कम्पनी संचालकों में प्रदेश में सत्ताधारी बीजेपी के मंत्रियों के रिश्तेदारों के नाम आए हैं। अत:इन पर आसानी से कोई कार्यवाही होगी ऐसा सोचना ही कठिन है। लुटने वालों में अधिकांश गरीब और मध्यम वर्ग के उपभोक्ता है जो ............
?
डॉ.
सुनील शर्मा |
|
|
|
|
प्रकृति
नहीं सियासत
का कोप भारी
है! बुंदेलखण्ड देश का दूसरा विदर्भ बनता जा रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारों के तमाम घोषित उपायों के बावजूद यहॉ के किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं का सिलसिला थम नहीं रहा है। स्थिति की भयावहता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि गत माह इलाहाबाद उच्च न्यायालय उ.प्र. ने समाचार पत्रों में छप रही आत्महत्याओं की खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केन्द्र व उ.प्र. सरकार से कैफियत तलब की है। ?
सुनील
अमर |
|
|
संकट
में वन्य एवं
जलीय जीव-जंतु
हाल ही में पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने दिल्ली में हाथी संरक्षण कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश को लौह अयस्क और कोयला खनन गतिविधियों के बारे में अत्यधिक संवेदनशील नजरिया अपनाने की जरूरत है क्योंकि लौह अयस्क और कोयला खनन गतिविधियाँ वर्तमन परिप्रेक्ष्य में सबसे बड़ा खतरा हैं। हमें लौह अयस्क और कोयले की जरूरत है लेकिन इसके लिए यह जरूरी नहीं कि हम हाथी जैसे वन्यप्राणियों के पर्यावास को पूरी तरह नष्ट कर दें।
?
शब्बीर
कादरी |
|
|
|
|
हमारे मुल्क में समानता की चाह और उसके लिए जद्दोजहद का एक लंबा इतिहास है, जो आजादी के बाद भी हमारे संविधान में प्रतिबिंबित होता है। संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों में कानून के सामने बराबरी और रोजगार के समान अवसर के अधिकार शामिल हैं। जिन्हें नीति निर्देशक सिध्दांतों के जरिए और मजबूत किया गया। बाद में जोड़े गए अनुच्छेद 38 में साफ किया गया है कि राज्य आय की विषमता को कम करने की कोशिश करेगा। ?
जाहिद
खान |
|
|
अगर
भुनायी जा सके
तो भुना लो !
चर्चित नीरज ग्रोवर हत्याकाण्ड का फैसला आने के बाद कन्नड़ अभिनेत्री मारिया सुसाइराज फिर से सूर्खियों में हैं। ज्ञात हो कि 7 मई 2008 में हुए इस नृशंस हत्याकाण्ड में मारिया के प्रेमी जेरोम मॅथ्यू को दस साल सश्रम सजा तथा मारिया को हत्या का सबूत मिटाने के अपराध के लिए तीन साल की सजा सुनायी गयी थी तथा दोनों को जुर्माने का फैसला सुनाया गया था।
?
अंजलि
सिन्हा |
|
|
|
|
युवाओं
में रेव
पार्टियों का
चलन महानगरों के नवधनाढय युवाओं में रेव पार्टियों का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। मुम्बई के निकट खंडाला, लोनावला, कर्जत, अलीबाग आदि स्थानों पर ये पार्टियां आयोजित की जाती हैं। इनमें पूरी रात लाउड ट्रांस म्यूज़िक, मध्दिम रोशनी में युवाओं के थिरकते बदन, हाथों में मदिरा की बोतल या सिगरेट और रगों में दौड़ता हुआ एलएसडी, चरस और गांजे आदि का नशा विकासशील भारत की युवा पीढ़ी का जो चेहरा उजागर करता है,वह निश्चय ही चिन्ताजनक है। ?
डॉ.
गीता गुप्त |
|
|
![]() |
|
|
|
Designed by-PS
Associates |
|